This website uses cookie or similar technologies, to enhance your browsing experience and provide personalised recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Terms of Use.
Accept
IndiaPost LiveIndiaPost LiveIndiaPost Live
  • Home
  • India
  • World
  • Business
  • Entertainment
  • Sports
Notification Show More
Font ResizerAa
IndiaPost LiveIndiaPost Live
Font ResizerAa
  • Home
  • India
  • World
  • Business
  • Entertainment
  • Sports
  • India News
  • State
  • World
  • Entertainment
  • Business
  • Trending
  • Sports
  • Career
  • Lifestyle
  • Languages
Follow US
© 2024 NM Media. All Rights Reserved.

News » Opinion » रिश्तो का परम आधार प्रेम

Opinion

रिश्तो का परम आधार प्रेम

Poornima Tiwari
Last updated: 30 April, 2024 2:32 AM
Poornima Tiwari
Share
children

दुनिया में कई रिश्ते है जैसे मां-बेटी-बेटा, भाई-बहन, भक्त-भगवान, दोस्ती लेकिन भले ही इन रिश्तो के नाम अलग-अलग हो इनकी डोर प्रेम से ही जुड़ी है। बिना प्रेम किसी भी रिश्ते को निभाना संभव नहीं। कहते हैं ना किसी को शादी के पहले प्यार होता है किसी को शादी के बाद परंतु प्रेम दोनों में समान है। जहां प्रेम नहीं उसे रिश्ते का नाम देना कठिन है। संबंध और प्रेम दो ऐसे शब्द हैं जैसे दिल और धड़कन जो एक दूसरे के बिना चल नहीं सकते। हम सभी एक विश्व के सदस्य हैं यह समस्त विश्व परस्पर आश्रय व् परस्पर पोषण पर आधारित है। यदि हम मानवता को सुरक्षित रखना चाहते हैं तो हमें मानव के मानव मात्र के प्रति ”प्रेम ”को स्थिर बनाये रखना होगा। 

Contents
क्या प्रेम कभी नष्ट हो सकता है?सच्चा प्रेम एक एहसास है

“ओशो” कहते हैं -‘इस पूरे ब्रह्माण्ड में सिर्फ इस पृथ्वी पर हरियाली है , सिर्फ यहीं मानवता है। इस पर नाज करो. मृत्यु तुम्हे समाप्त करे उससे पहले दुनिया को प्यार दो ….जीवन को प्यार करो, प्रेम को प्रेम करो, आनंद को प्रेम करो-मरने के बाद स्वर्ग में नहीं -अभी और यहीं ..”

क्या प्रेम कभी नष्ट हो सकता है?

प्रेम हर किसी से नहीं होता लेकिन जिस से हो जाए उसे सब कुछ बना देता है कई बार एक सवाल मन में उठता है कि क्या प्रेम कभी नष्ट हो सकता है? प्रेम भी तीन प्रकार का होता है पहला शारीरिक प्रेम – वह प्रेम जो खूबसूरती पर आधारित है जैसे-जैसे खूबसूरती फीकी पड़ने लगती है उस प्रेम की आयु घटने लगती है और अंत में वह नष्ट हो जाता है। वहीं दूसरी ओर है मन का प्रेम – यदि देखा जाए तो मन के प्रेम की आयु शारीरिक प्रेम की तुलना में अधिक होती है लेकिन एक समय बाद यह भी नष्ट हो जाता है क्योंकि मन क्षणभंगुर है। तीसरा प्रेम है आत्मीय प्रेम – प्रेम जो आत्मा से किया गया हो जीवन पर्यंंत नष्ट नहीं होता आत्मीय प्रेम का उदाहरण मां की अपने बच्चों के प्रति ममता है जो जीवन के अंत तक रहती है। इसीलिए आत्मीय प्रेम सबसे ऊंचा है।

सच्चा प्रेम एक एहसास है

प्रेम के जीवन में वास्तविक महत्व के पश्चात् इस विषय पर भी गहन चिंतन की आवश्यकता है कि आखिर ”सच्चे प्रेम का स्वरुप क्या है?” आज युवा पीढ़ी के हाथ में धन, पद, प्रतिष्ठा सब कुछ आ चुका है। एक और युवा वर्ग धन की दौड़ में व्यस्त है तो दूसरी और ‘आई लव यू ‘ कहकर गली-गली प्रेम का इजहार हो रहा है। लाल गुलाब, ग्रीटिंग कार्ड, चाकलेट आदि भेंट कर प्रेम का प्रदर्शन किया जा रहा है। यदि तब भी प्रेम स्वीकार न किया जाये तो खुलेआम गोली मरकर उसकी हत्या कर दी जाती है या तेजाब डालकर उसके चेहरे को वीभत्स बना दिया जाता है। क्या यही प्रेम है?

Read More

भगवान श्री कृष्ण का जन्म उत्सव जन्माष्टमी के बारे में रोचक तथ्य जो आपको जानना चाहिए
भगवान श्री कृष्ण का जन्म उत्सव जन्माष्टमी के बारे में रोचक तथ्य जो आपको जानना चाहिए
love

प्रेम एक एहसास है वह एहसास जो कि आत्मिक है। जब बात आत्मिक प्रेम की आती है तो यह दो मनुष्यों के बीच नहीं, बल्कि दो आत्माओं के बीच होता है। दो मनुष्यों के बीच होने वाले प्रेम की आयु अधिक नहीं होती, इसलिए नहीं क्योंकि वह सच्चा नहीं है बल्कि इसलिए क्योंकि वह रूप- रंग, खूबसूरती, आवाज, पैसा, रुतबा, शोहरत सब पर आधारित होता है और जैसे ही यह सब फीका पड़ने लगता है, प्रेम की आयु घटने लगती है। आत्मिक प्रेम अमर होता है। वह एक ऐसा एहसास है जो मृत्यु के बाद भी जिंदा रहता है। इसका आधार किसी भी व्यक्ति का शरीर नहीं उसकी आत्मा होती है। और आत्मा का कोई रूप – रंग नहीं होता, यहां तक कि हम उसे देख भी नहीं सकते सिर्फ और सिर्फ महसूस कर सकते हैं। कहां जाता है आत्मा ही परमात्मा है और आत्मा की मृत्यु हो नहीं होती, मृत्यु शरीर की होती है आत्मा कभी नष्ट नहीं होती। शरीर के जलने के बाद वह पंचतत्व में विलीन हो जाता है। लेकिन आत्मा वही रहती है। तो फिर आत्मिक प्रेम कैसे नष्ट हो सकता है?

आचार्य रामचन्द्र शुक्ल जी ने जायसी कृत ‘पद्मावत’में पद्मावती की रूप चर्चा सुनकर राजा रत्नसेन के पद्मावती को प्राप्त करने की लालसा को ‘रूप-लोभ’ कहकर ”सच्चे प्रेम ‘के स्वरुप को स्पष्ट करते हुए लिखा है -”हमारी समझ में तो दूसरे के द्वारा -चाहे वह चिड़िया हो या आदमी-किसी पुरुष या स्त्री के रूप -गुण आदि को सुनकर चट उसकी प्राप्ति की इच्छा उत्पन्न करने वाला भाव लोभ मात्र कहला सकता है, परिपुष्ट प्रेम नहीं. लोभ और प्रेम के लक्ष्य में सामान्य और विशेष का ही अंतर समझा जाता है। कही कोई अच्छी चीज सुनकर दौड़ पड़ना यह लोभ है। कोई विशेष वस्तु चाहे दूसरे के निकट वह अच्छी हो या बुरी – देख उसमे इस प्रकार रम जाना कि उससे कितनी ही बढ़कर अच्छी वस्तुओं के सामने आने पर भी उनकी और न जाये -प्रेम है ”स्पष्ट है कि प्रेम का सच्चा स्वरुप वही है जो हमारे ह्रदय में बस जाये। प्रेम की न तो कोई भाषा है और न ही कोई सीमा। पवित्रता, कल्याण, निस्वार्थ-त्याग – आदि आदर्शों को अपने में समाये हुए जो हमारा भाव है – वही प्रेम है।

(लेखक- पूर्णिमा तिवारी)

Share This Article
Facebook Twitter Whatsapp Whatsapp Telegram Copy Link
What do you think?
Love0
Sad0
Happy0
Sleepy0
Angry0
Dead0
Wink0

Latest News

Landslides disrupt Kedarnath-Badrinath highway in Rudraprayag and Chamoli; restoration work underway amid rain alert
Landslides disrupt Kedarnath-Badrinath highway in Rudraprayag and Chamoli; restoration work underway amid rain alert
India News
‘Soulful tribute to beacon of peace’: VIP Motion Pictures creates theme song for Dalai Lama’s 90th birthday
‘Soulful tribute to beacon of peace’: VIP Motion Pictures creates theme song for Dalai Lama’s 90th birthday
India News
Uttarakhand weather update: IMD predicts heavy rain till July 14; yellow alert issued, schools shut in Dehradun
Uttarakhand weather update: IMD predicts heavy rain till July 14; yellow alert issued, schools shut in Dehradun
India News
Heavy rain lashes parts of Delhi; IMD issues orange alert for next two days
Heavy rain lashes parts of Delhi; IMD issues orange alert for next two days
India News
IndiaPost LiveIndiaPost Live
Follow US
© 2024 NM Media. All Rights Reserved.
  • About Us
  • Privacy Policy
  • Contact Us
Welcome Back!

Sign in to your account